शीतपित्त का आयुर्वेदिक इलाज। शीतपित्त की दवा पतंजलि। Urticaria Treatment in patanjali in Hindi। शीत की दवा घरेलू उपाय। पित्ती के लिए सबसे अच्छी आयुर्वेदिक दवा कौन सी है?। शीत पित्त में क्या नहीं खाना चाहिए?। शरीर में पित्ती निकलने का क्या कारण है?
शीतपित्त का आयुर्वेदिक इलाज: शीतपित्त जिसे पित्त भी कहा जाता है यह त्वचा में होने वाली एक आम समस्या है जिससे अधिकतर लोग कभी ना कभी प्रभावित हुए होंगे। शीत पित्त को ज्यादातर लोग एलर्जी से होने वाले प्रभाव के रूप में देखते हैं शीतपित्त होने पर त्वचा पर हल्के लाल रंग के निशान हो जाते हैं जिसमें अत्यधिक खुजली और निशान उत्पन्न हो जाते है।
आयुर्वेद चिकित्सा भारत की जानी-मानी और कारगर चिकित्सा पद्धति है जिसमें शीत पित्त के उपचार के लिए विभिन्न प्रकार के उपचार उपलब्ध हैं तथा इस लेख में हम पित्ती के लिए सबसे अच्छी आयुर्वेदिक दवा कौन सी है? इसके बारे मैं जानेंगे।
तथा इन आयुर्वेदिक दवाइयों का उपयोग कैसे किया जाता है और इसके इस्तेमाल के दौरान आपको कौन-कौन सी सावधानियां रखनी चाहिए इसके बारे में भी हम इस लेख में जानेंगे।
- टाइटेनियम 3x टैबलेट के फ़ायदे नुकसान उपयोग।
- एलिमेंट्स वेलनेस फेयरनेस क्रीम के फ़ायदे नुकसान उपयोग।
- वाई नॉट क्रीम 12 के फ़ायदे नुकसान उपयोग।
विषय सूची
शीतपित्त का आयुर्वेदिक इलाज। Urticaria ayurvedic treatment in hindi
शीतपित्त यह त्वचा में होने वाली समस्या है जो विभिन्न कारणों से किसी भी व्यक्ति को हो सकती है तथा बात करें इसके आयुर्वेदिक उपचार की तो यहां हमने कुछ आयुर्वेदिक इलाज के बारे में बताया है उनकी सहायता से शीतपित्त का उपचार किया जा सकता है।
1.गिलोय
गिलोय एक बहु उपयोगी आयुर्वेदिक औषधि है जिसका उपयोग विभिन्न प्रकार के दवाओं में किया जाता है तथा शीत पित्त के उपचार के लिए बहुत ही फायदेमंद हो सकता है। इसमें रक्त शोधन के गुण होते हैं जो रक्त में मौजूद अशुद्धियों को शुद्ध करके खुजली और एलर्जी जैसी समस्याओं से राहत पाने में मदद करता है।
2.नीम
नीम त्वचा संबंधित विकारों के लिए एक बहुत ही फायदेमंद आयुर्वेदिक घटक माना जाता है यह रक्त शोधन और त्वचा संबंधित विकारों के उपचार में अत्यंत लाभकारी होता है। नीम में सूजन विरोधी गुण होते है जो शीतपित्त और एक्जिमा ,सोरायेसिस जैसी गंभीर संक्रमण से लड़ने और लक्षणों को नियंत्रित करने मैं बहुत मदद करता है।
3. हल्दी
हल्दी का उपयोग प्राचीन समय से ही मसाले और आयुर्वेदिक औषधि के तौर पर किया जाता रहा है यह त्वचा के लिए एक बेजोड़ औषधि मानी जाती है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट , एंटी बैक्ट्रियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं यह हानिकारक बैक्ट्रिया को रोकते है जो शीतपित्त का कारण हो सकते है।
इसके अलावा यह त्वचा है होने वाले लक्षण सूजन, खुजली, जलन को कम करने मैं मदद करता है और त्वचा मैं नमी को बनाते रखता है।
- जापानी एफ कैप्सूल के फायदे नुकसान उपयोग।
- बिग जैक कैप्सूल के फायदे नुकसान उपयोग।
- ओमेगा 3 कैप्सूल के फायदे नुकसान उपयोग।
शीतपित्त की दवा पतंजलि। Urticaria Treatment in patanjali in Hindi
पतंजलि आयुर्वेद भारत की जानी-मानी आयुर्वेदिक दवाई कंपनी है जिसके ब्रांड एंबेसडर जाने माने योग गुरु बाबा रामदेव जी हैं। तथा शीतपित्त के उपचार के लिए पतंजलि आयुर्वेद में कुछ दवाई उपलब्ध हैं जिनका उपयोग आप चिकित्सक की सलाह से कर सकते हैं।
शीतपित्त की दवा पतंजलि
1. दिव्य डर्माग्रिट वटी
पतंजलि आयुर्वेद की एक बहुत ही फायदेमंद दवाई है जिसे पतंजलि रिसर्च सेंटर द्वारा टेस्टेड और वेरीफाइड किया है यह त्वचा संबंधित मामलों के लिए उपयोग की जाने वाली आयुर्वेदिक दवाई है। इसके मुख्य घटकों में दारू हल्दी, करंज, आमला ,बाकूची, गिलोय बहेड़ा ,हल्दी,मंजिष्ठा समेत विभिन्न प्रकार की कई और औषधीय को सम्मिलित किया गया है।
सेवन विधि: सुबह शाम खाने के पहले दो-दो गोली पानी के साथ अथवा चिकित्सक द्वारा बताए गए तरीके से सेवन करें।
2. पतंजलि गिलोय घन वटी
जैसा कि इस लेख में हम गिलोय के बारे में पहले ही चर्चा कर चुके हैं कि यह रक्त शोधन और रक्त में मौजूद अशुद्धियों को दूर करने के लिए बहुत ही फायदेमंद होती है तथा पतंजलि गिलोय घनवटी का उपयोग करके शीतपित्त समस्या में लाभ लिया जा सकता है।
सेवन विधि: सुबह शाम खाने के बाद दो-दो गोली पानी के साथ अथवा चिकित्सक द्वारा बताए गए तरीके से सेवन करें।
3.पतंजलि नीम घन वटी
नीम त्वचा में मौजूद अशुद्धियों को दूर करने और त्वचा संबंधित रोगों के उपचार के लिए फायदेमंद होती है तथा पतंजलि नीम घनवटी का उपयोग करके शीतपित्त की समस्या में लाभ लिया जा सकता है।
सेवन विधि: सुबह शाम खाने के बाद दो-दो गोली पानी के साथ अथवा चिकित्सक द्वारा बताए गए तरीके से सेवन करें।
- जापानी एफ कैप्सूल के फायदे नुकसान उपयोग।
- बिग जैक कैप्सूल के फायदे नुकसान उपयोग।
- ओमेगा 3 कैप्सूल के फायदे नुकसान उपयोग।
4.दिव्य हरिद्राखंड
शीत पित्त के मुख्य कारणों में से एक एलर्जी हो सकती है तथा इसके उपचार के लिए पतंजलि की दिव्य हरिद्राखंड का उपयोग कर शीत पित्त में लाभ लिया जा सकता है।
सेवन विधि: सुबह शाम खाने के बाद आधा आधा चम्मच पानी के साथ अथवा चिकित्सक द्वारा बताए गए तरीके से सेवन करें।
5. दिव्य कायाकल्प वटी
पतंजलि आयुर्वेद के दिव्य कायाकल्प वटी त्वचा संबंधित रोगों के उपचार के लिए उपयोग की जाने वाली एक फायदेमंद दवाई है जिसके मुख्य घटकों में करंज, हल्दी ,नीम ,मंजिष्ठा कुटकी ,बहेड़ा और गिलोय समेत विभिन्न प्रकार की कई और सक्रिय औषधीय का उपयोग किया गया है।
सेवन विधि: सुबह शाम खाने के पहले दो-दो गोली पानी के साथ अथवा चिकित्सक द्वारा बताए गए तरीके से सेवन करें।
शीतपित्त के घरेलू उपचार । शीत की दवा घरेलू उपाय
1. नीम की पत्तियों को पानी में उबालकर उसे पानी से नहाए।
2. नारियल का तेल और देसी कपूर को मिलाकर प्रभावित क्षेत्र पर लगाने से आराम मिल सकता है।
3. एलोवेरा एक नेचुरल मॉइश्चराइजर होता है तथा इसके जेल को प्रभावित क्षेत्र पर लगाने से भी शीत पित्त में आराम मिल सकता है।
- जापानी एफ कैप्सूल के फायदे नुकसान उपयोग।
- बिग जैक कैप्सूल के फायदे नुकसान उपयोग।
- ओमेगा 3 कैप्सूल के फायदे नुकसान उपयोग।
शीत पित्त में क्या नहीं खाना चाहिए?
शीतपित्त होने पर इन खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।
- दूध और दूध से बने उत्पाद।
- अधिक मसाले और तेल वाली चीज
- खट्टी और फार्मीटेड चीजे
- मास, मछली
- चीनी
- फास्ट फूड
शरीर में पित्ती निकलने का क्या कारण है?
शीतपित्त विभिन्न कारणों से किसी भी व्यक्ति को हो सकती है जिसके सामान्य कारण हमने यहां बताए है।
- मौसम मैं परिवर्तन के दौरान
- दवाइयों के एलर्जी से
- खाद्य पदार्थ या अन्य चीजों से एलर्जी होने पर।
- अधिक तेल और मसालेदार भोजन के सेवन से।
- दिनचर्या मैं बहुत अधिक बदलाव जैसे देर से सोना , दिन मैं अधिक सोना, देर रात तक जागना।
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