4 असरदार दवाई मिर्गी का रामबाण आयुर्वेदिक इलाज। Ayurvedic medicine for Epilepsy

मिर्गी का रामबाण आयुर्वेदिक इलाज: मिर्गी जिसे अपस्‍मार और इंग्लिश मैं epilepsy कहा जाता है मिर्गी रोग तंत्रिका तंत्र संबंधित रोग है जिसमें पीड़ित व्यक्ति मैं दौरे आना, एकदम से गिर जाना, मुंह से झाग आना और आंखों के सामने अंधेरा हो जाना जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं।

तथा मिर्गी से पीड़ित व्यक्ति को मानसिक रूप से कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है जैसे की कमजोर याददाश्त तथा मानसिक क्षमता में दिनों दिन गिरावट। 

मिर्गी के उपचार के लिए हर चिकित्सा पद्धति में उपचार और दवाइयां मौजूद है जिन्हें चिकित्सक की सलाह से लिया जा सकता है तथा इस लेख में हम मिर्गी के आयुर्वेदिक इलाज के बारे में जानेंगे।


मिर्गी के इलाज के लिए आयुर्वेदिक जड़ी बूटी। Ayurvedic herbs for Epilepsy 

2.ब्राह्मी 

दिमाग और तंत्रिका तंत्र संबंधित मामलों के उपचार के लिए उपयोग की जाने वाली औषधियो में ब्राह्मी बहुत ही फायदेमंद मानी जाती है। यह याददाश्त को मजबूत बनाती है और मानसिक क्षमता को बढ़ाने में मदद करती है। ब्राह्मी के उपयोग से मिर्गी के दौरों में विशेष लाभ मिलता है इसके उपयोग से मिर्गी के दौरों की अवधि कम होती है।

2. शंखपुष्पी 

मिर्गी और दिमागी संबंधित रोगों के उपचार के लिए विभिन्न प्रकार के दवाइयों में शंखपुष्पी का उपयोग किया जाता है। यह मस्तिष्क के नसों को आराम देने का कार्य करती है और यह याददाश्त को मजबूत बनाती है इसके अलावा यह मिर्गी से जुड़े लक्षणों जैसे की घबराहट को कम करने मैं मदद करती है।

3. शतावरी 

शतावरी एक बहु उपयोगी और लाभकारी जड़ी बूटी है। मिर्गी के कारणों में वात पित्त और कफ का संतुलन शामिल हो सकता है तथा शतावर इसके असंतुलन से पैदा होने वाले दौरों को नियंत्रित करता है और शारीरिक कमजोरी को दूर करने का कार्य करता है।

ALSO READ


मिर्गी के इलाज के लिए आयुर्वेदिक दवाई। Ayurvedic medicine for Epilepsy 

मिर्गी की सबसे अच्छी दवा कौन सी है? मिर्गी के इलाज के लिए हर चिकित्सा पद्धति में विभिन्न प्रकार की दवाई उपलब्ध हैं तथा हम यहां आपको कुछ प्रभावी आयुर्वेदिक दवाइयां के बारे में बताने वाले हैं जिनके उपयोग से मिर्गी की समस्या में विशेष लाभ लिया जा सकता है।

1. पंचगव्य घृत 

पंचगव्य घृत एक आयुर्वेदिक औषधि है जिसे घी के रूप में तैयार किया जाता है इसे बनाने के लिए गाय के उत्पादों के पांच अलग-अलग घटकों का उपयोग किया जाता है इसके उपयोग से तांत्रिक तंत्र संबंधित बीमारियां ,पागलपन, मिर्गी, बुखार,पीलिया , लीवर संबंधित रोग और मानसिक स्थिति को ठीक करने मैं लाभ मिलता है।

2. कूष्माण्ड घृत 

कूष्माण्ड घृत यह सफेद कद्दू का घृत होता है जिसे घी के रूप मैं तैयार किया जाता है यह मिर्गी और मानसिक रोगों के उपचार के लिए उपयोग की जाती है।

3. सारस्वतारिष्ट 

मिर्गी और दिमागी संबंधित समस्याओं के उपचार के लिए उपयोग की जाने वाली सारस्वतारिष्ट एक फायदेमंद आयुर्वेदिक दवाई है। यह मेमोरी पावर को बढ़ाती है एकाग्रता शक्ति को बढ़ाने में सहायक होती है तथा यह तनाव संबंधित तकलीफों को दूर करती है। यह मिर्गी से संबंधित लक्षणों जैसे की घबराहट अत्यधिक सोचना और दौरों की तीव्रता को कम करने में लाभकारी हो सकती है। 

4. ब्राम्ही घृत

ब्राह्मी घृत यह घी के रूप मैं होता हैजिसे ब्राह्मी से तैयार किया जाता है यह मिर्गी के लक्षणों को दूर करने और मानसिक इच्छा शक्ति को मजबूत बनाने के लिए एक फायदेमंद दवाई है। यह मानसिक अवसाद को दूर करती है तंत्रिका तंत्र के कार्यों को बेहतर बनाने मैं मदद करती है जिससे की मिर्गी के लक्षणों को कम करने मैं लाभ मिलता है।


मिर्गी का रामबाण इलाज पतंजलि। Patanjali medicine for Epilepsy 

पतंजलि आयुर्वेद भारत की जानी मानी आयुर्वेदिक दवाई कंपनी है तथा मिर्गी के इलाज के लिए उनकी कुछ दवाएं उपलब्ध हैं जिन्हें आप चिकित्सक की सलाह से ले सकते हैं लिए इन दवाओ के बारे में जानते हैं।

  • दिव्य मेधा क्वाथ

1 चम्मच औषधि को 400 मिली पानी में पकाएं और 100 मिली शेष रहने पर छानकर प्रातः, सायं खाली पेट पिएं।

  • दिव्य मुक्ता पिष्टी 4 ग्राम
  • दिव्य प्रवाल पिष्टी 10 ग्राम
  • दिव्य गिलोय सत् 10 ग्राम
  • दिव्य गोदन्ती भस्म 10 ग्राम
  • दिव्य कुल्या भस्म मिश्रण 10 ग्राम

सभी औषधियों को मिलाकर 60 पुड़ियां बनाएं। प्रातः नाश्ते एवं रात्रि-भोजन से आधा घण्टा पहले जल/शहद से सेवन

  • दिव्य मेधा वटी
  • दिव्य अश्वगंधा कैप्सूल

2-2 गोली प्रातः व सायं भोजन के बाद गुनगुने जल से सेवन करें।

  • दिव्य अश्वगन्धारिष्ट
  • दिव्य सारस्वतारिष्ट

4 चम्मच (2-2 चम्मच दोनों में से) औषध में 4 चम्मच पानी मिलाकर प्रातः एवं सायं भोजन के बाद सेवन करें।

बताई गई दवाइयों का सेवन आर्युवेद चिकित्सक की सलाह से करे।

(जानकारी स्त्रोत बुक: उपचार पद्धति)

ALSO READ


मिर्गी के उपचार के लिए आर्युवेद चिकित्सा पद्धति

आयुर्वेद में मिर्गी का इलाज क्या है? आयुर्वेद चिकित्सा भारत की बहुत प्राचीन और कागज चिकित्सा पद्धति है तथा मिर्गी के उपचार के लिए कई वर्षों से भारत में विभिन्न प्रकार की आयुर्वेद चिकित्सा थेरेपी का उपयोग किया जाता है जिनके बारे में हम जानेंगे। 

1. शीरोधारा 

मिर्गी का रामबाण आयुर्वेदिक इलाज

यह शमन चिकित्सा का एक प्रकार है जिसमें आयुर्वेदिक तेलों और घृत का इस्तेमाल किया जाता है ब्राह्मी घृत , शंखपुष्पी घृत, वच घृत, सफेद कद्दू का घृत और अन्य औषधियों का उपयोग किया जाता है।

ALSO READ

2.बस्ती 

मिर्गी का रामबाण आयुर्वेदिक इलाज

बस्ती का उपयोग वातज मिर्गी के उपचार के लिए किया जाता है यह शरीर में खराब वात दोष को दूर करता है।

3.विरेचन

मिर्गी का रामबाण आयुर्वेदिक इलाज

पित्तज मिर्गी की स्थितिमाज विरेचन का उपयोग किया जाता है यह एक शुद्धिकरण की प्रक्रिया होती है जिसे दस्त की विधि द्वारा किया जाता है।

विरेचन चिकित्सा पद्धति में चिकित्सक मरीज के हिसाब से अलग-अलग मिश्रण का चयन करते है।

4. वमन 

मिर्गी का रामबाण आयुर्वेदिक इलाज

शरीर में मौजूद मिर्गी के खराब दोषों की शुद्धिकरण के लिए वमन चिकित्सा पद्धति का उपयोग किया जाता है जिसमें शहर और काले नमक के साथ जरूरी औषधि दी जाती है।

5.नास्य 

मिर्गी का रामबाण आयुर्वेदिक इलाज

यह नाक द्वारा की जाने वाली एक चिकित्सा पद्धति है जिसमें आयुर्वेदिक पाउडर और औषधि तेलों को नाक के द्वारा डाला जाता है जड़ी बूटियां का चयन चिकित्सा मरीज के स्थिति के आधार पर करते है।

6.संवेदन 

मिर्गी का रामबाण आयुर्वेदिक इलाज

संवेदन जिसमे मिर्गी के मरीज को जड़ी बूटियां से बने कड़े का बाप दिया जाता है इसमें मरीज को लकड़ी के कैबिनेट पर बिठाया जाता है और 30 से 45 मिनट तक चिकित्सक द्वारा सुझाए गए काढ़े का भाप दिया जाता है।

संवेदन चिकत्सा पद्धति मैं मरीज को बहुत पसीना आता जिससे की शरीर मैं मौजूद विषाक्त पदार्थ बाहर निकल जाते है।

7. स्नेहन 

मिर्गी का रामबाण आयुर्वेदिक इलाज

स्नेहन चिकित्सा पद्धति में औषधि तेलों और घृत का इस्तेमाल किया जाता है इसमें नारायण तेल और बला तेल से मरीज की मालिश की 15 से 30 मिनट तक मालिश जाती है।

Bablu Bhengra
Spread the love

Leave a Comment