दबी हुई नस का आयुर्वेदिक इलाज। दबी हुई नसों को खोलने के लिए 4 कारगर आयुर्वेदिक दवाई।

दबी हुई नस का आयुर्वेदिक इलाज। दबी हुई नस का इलाज। नस खोलने की आयुर्वेदिक दवा पतंजलि

दबी हुई नस का आयुर्वेदिक इलाज: वर्तमान समय की जीवन शैली विभिन्न प्रकार की स्वास्थ्य समस्यायों और शारीरिक चुनौतियों से भरा हुआ है जहां हम एक ही स्थान पर कई घंटे एक ही पोजीशन में एसी और कंप्यूटर, लैपटॉप के सामने बैठकर काम करते हैं जिसकी वजह से नसों के बने की समस्या हो सकती है इसके अलावा कई अन्य शारीरिक गतिविधियों के कारण भी नशे डब सकती हैं। 

नसों के बने के कारण दर्द सूजन और चलने फिरने में कई प्रकार की समस्याएं उत्पन्न हो सकती है दबे हुए नस को ठीक करने के लिए विभिन्न प्रकार की दवाएं ,थेरेपी और सर्जरी जैसे विकल्प आजकल के मॉडर्न चिकित्सा में उपलब्ध है। 

तथा इस लेख मैं हम दबी हुई नस का आयुर्वेदिक इलाज के बारे मैं जानेंगे तथा इन दवाओ का उपयोग कैसे किया जाता है इनके इस्तेमाल के दौरान आपको कौन कौन सी सावधानियां रखनी चहिए।


दबी हुई नस का आयुर्वेदिक इलाज

आयुर्वेद चिकित्सा भारत एक बहुत पुरानी और कारगर चिकित्सा पद्धति है जिसमें सभ प्रकार के रोगों के लिए उपचार और दवाइयां मौजूद हैं जिनका उपयोग चिकित्सक की सलाह से किया जा सकता है तो लिए दबी हुई नस के लिए उपयोग की जाने वाली आयुर्वेदिक दावों के बारे में जानते हैं। 

1. परिजात

परिजात जिसे हरसिंगार शेफाली, शिउली, सिंगार इत्यादि नामों से भी जाना जाता है दबी हुई नस, सूजन और दर्द जैसी स्थितियों से लड़ने के लिए परिजात बेहद फायदेमंद होता है पारिजात मैं साइटिका जैसे गंभीर रोगों के इलाज के लिए बेहद असरदार और गुणकारी होता है । यह वात-कफनाशक, ज्वार नाशक, और रक्तशोधक होता है पारिजात के पत्ते और छाल विशेष रूप से उपयोग किए जाते है।

2. शुद्ध गुग्गूल 

शुद्ध गूगल का उपयोग विभिन्न प्रकार के दर् से संबंधित दवाओं मैं किया जाता है गुग्गूल मैं प्राकृतिक रूप से सूजन विरोधी,गठियारोधी गुण होते है जो दबी हुई नसों के उपचार मैं प्रभावी रूप से मदद कर सकते है। गुग्गूल से बनी विभिन्न प्रकार की दवाइयां बाजार में उपलब्ध है जिन्हें चिकित्सक की सलाह से लिया जा सकता है

3. रसना

रसना जिसे आयुर्वेद चिकत्सा मैं युक्ता भी कहा जाता है रसना का उपयोग विभिन्न प्रकार के दर्द और सूजन विरोधी दवाइयां में किया जाता है दबी हुई नसों और गठिया जैसे रोगों के उपचार के लिए यह बहुत गुणकारी होता है। इसमें मौजूद सूजन-रोधी और एनाल्जेसिक गुणों के कारण दर्द और सूजन में राहत मिलती है। 

4. निर्गुण्डी 

आयुर्वेद चिकित्सा में निर्गुंडी एक बहुत ही फायदेमंद और लाभकारी औषधि के रूप में जानी जाती है इसका उपयोग विभिन्न प्रकार के सूजन और दर्द विरोधी दवाइयां में किया जाता है तथा यही कारण है कि इसका उपयोग गठिया और दबी हुई नस जैसी स्थितियों के लिए किया जाता है इसके अलावा इसका उपयोग सिर दर्द, उल्टी और बुखार मैं भी किया जाता है।


दबी हुई नस के लक्षण

दबी हुई नस की पुष्टि करने के लिए इसके लक्षणों का पता होना जरूरी है इन लक्षणों की सहयता से यह आप पता लगा सकते है।

  • दर्द (कभी कभी बहुत ज्यादा)
  • सुन्न होना
  • मासपेशियों मैं कमजोरी
  • झुनझुनी (सुई या पिन चुभने जैसी अनुभूति)

दबी हुई नसों के उपचार के लिए आयुर्वेदिक दवा कहा से खरीदे

दबी हुई नसों के लिए लेख में बताई गई औषधियां है जो आपको टैबलेट, चूर्ण या सिरप के रूप मैं देखने को मिलेंगे तथा जिनका उपयोग करने के लिए आपको इन्हे आयुर्वेदिक मेडिकल स्टोर या फिर ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट से इन्हे खरीदना पड़ेगा।


नस खोलने की आयुर्वेदिक दवा पतंजलि

पतंजलि आयुर्वेद भारत की जानी-मानी आयुर्वेदिक दवाई और स्वदेशी उत्पाद बनाने वाली कंपनी है तथा नसों के ब्लॉकेज खोलने के लिए पतंजलि आयुर्वेद में दालचीनी पाउडर, करक्यूमिन गोल्ड, अर्जुन क्वाथ, अर्जुनरिष्ट, अर्जुन वटी, लिपिडोम टैबलेट का उपयोग चिकित्सक की सलाह से किया जा सकता है।

Bablu Bhengra
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