पैरों में जलन की आयुर्वेदिक दवा। Ayurvedic medicine for burning feet Hindi
पैरों में जलन की आयुर्वेदिक दवा:
तथा इस लेख में हम पैरों में जलन की आयुर्वेदिक दवा के बारे में जानेंगे तथा इन दवाओं का उपयोग कैसे किया जाता है और इन दवाओं के इस्तेमाल के दौरान आपको कौन-कौन सी सावधानियां रखनी चाहिए इसके बारे में भी हम इस लेख में जानेंगे।
विषय सूची
पैरों में जलन की आयुर्वेदिक दवा।
आयुर्वेद चिकित्सा भारत की एक जानी-मानी और कारगर चिकित्सा पद्धति जिसमें सभी प्रकार के रोगों के लिए उपचार और दवाइयां मौजूद है तो आइए पैरों में जलन की आयुर्वेदिक दावों के बारे में विस्तार से जानते हैं।
1.रसायन चूर्ण
पैरों में होने वाले जलन को दूर करने के लिए रसायन चूर्ण एक बहुत ही फायदेमंद आयुर्वेदिक औषधि है रसायन चूर्ण में गिलोय ,गोखरू और आंवला चूर्ण समान मात्रा में सम्मिलित किया जाता है इसके उपयोग से पैरों में होने वाली जलन मैं राहत तो मिलती है इसके अलावा इसके सेवन से शारीरिक कमजोरी भी दूर होती है।
2. गोक्षुरादि गुग्गुल
गोक्षुरादि गूगल आयुर्वेद चिकित्सा में एक जाना माना नाम है तथा गोक्षुरादि गूगल का उपयोग भी पैरों में होने वाली जलन को दूर करने के लिए किया जा सकता है पैरों में होने वाली जलन का एक मुख्य कारण वात और पित्त का असंतुलन हो सकता है।
तथा गोक्षुरादि गूगल वात और पित्त को संतुलित कर पैरों में होने वाली जलन को दूर करता है इसके अलावा यह मूत्र संबंधित रोगों के उपचार में भी बहुत लाभकारी होता है।
3. अश्वगंधा
आयुर्वेद चिकित्सा में अश्वगंधा को कौन नहीं जानता अश्वगंधा का उपयोग विभिन्न प्रकार के रोगों के उपचार के लिए किया जाता है तथा पैरों की जलन के लिए भी अश्वगंधा का उपयोग बहुत ही फायदेमंद माना जाता है पैरों में होने वाली जलन का एक मुख्य कारण नर्वस सिस्टम में आई गड़बड़ी हो सकती है तथा अश्वगंधा नर्वस सिस्टम को बेहतर बनाने के लिए सहायक होता है।
इसके अलावा अश्वगंधा पैरों में होने वाले दर्द, थकान और स्ट्रेस को दूर करने के लिए भी उपयोगी होता है तथा यह वात रोग जैसे गंभीर स्थिति में भी एक दर्द निवारक की तरह काम करता है।
4. चंद्रप्रभा वटी
चंद्रप्रभा वटी एक बहु उपयोगी आयुर्वेदिक दवाई है यह मांसपेशियों और जोड़ों में होने वाले दर्द के लिए बहुत ही फायदेमंद माना जाता है इसके अलावा यह है पैरों में होने वाली जलन मूत्र मार्ग में संक्रमण तथा मूत्र संबंधित अन्य बीमारियों के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है।
पैरों में होने वाली जलन का एक मुख्य कारण पोषक तत्वों की कमी हो सकती है। तथा चंद्रप्रभा वटी में विभिन्न प्रकार की प्राकृतिक औषधियां का मिश्रण होता है जो की एक प्राकृतिक मल्टीविटामिन की तरह काम करती है और शरीर को जरूरी पोषक तत्व प्रदान करने में सहायता करती है।
5. शिलाजीत
शिलाजीत का उपयोग आर्युवेद चिकित्सा मैं विभिन्न प्रकार के रोगों के लिए किया जाता है तथा पैरो मैं होने वाली जलन का एक मुख्य कारण कमजोरी और डायबिटीज है तथा शिलाजीत डायबिटीज को नियंत्रित करने और कमजोरी की दूर करने के लिए बहुत फायदेमंद होती है।
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पैरों में जलन की आयुर्वेदिक दवा पतंजलि
कायाकल्प वटी
पतंजलि आयुर्वेद की कायाकल्प वटी का उपयोग वैसे तो त्वचा संबंधित विकारों को दूर करने और खून को साफ करने के लिए किया जाता है लेकिन इसका उपयोग पैरों में होने वाली जलन के लिए किया जाता है क्योंकि इसमें हल्दी, मजिष्टा, गिलोय बकुची और करंज जो पैरों में होने वाली जलन को शांत करने के लिए फायदेमंद हो सकते हैं।
हजरुलयहूद भस्म
पतंजलि हजरुलयहूद भस्म का उपयोग किड़नी संबंधित रोगों के उपचार के लिए किया जाता है जो की पैरों मैं होने वाली जलन का एक मुख्य कारण हो सकती है तथा इसके उपयोग से पेरो मैं होने वाली जलन को शांत किया जा सकता है।
इसके अलावा हजरुलयहूद भस्म का उपयोग पैरों मैं होने वाली जलन को दूर करने के लिए भी किया जाता है।
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पैरों में जलन की आयुर्वेदिक दवा के नुकसान।
पैरों में जलन की आयुर्वेदिक दवा के साइड इफेक्ट्स क्या है? पैरों में जलन के उपयोग की जाने वाली दवाएं आयुर्वेदिक है। तथा यही कारण है कि इसके दुष्प्रभावों के बारे में चिकित्सा जगत में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है अथवा अज्ञात है।
लेकिन कुछ स्थितियों में इसके दुष्प्रभाव देखने को मिल सकते हैं तो आईए जानते हैं कि पैरों में जलन की आयुर्वेदिक दवा के क्या नुकसान होते हैं।
- निर्धारित मात्रा से अधिक और गलत तरीके से इन दवाओं का सेवन किए जाने पर इसके दुष्प्रभाव शरीर पर देखने को मिल सकते हैं।
- शराब पीने के बाद यदि कोई व्यक्ति इन दवाओं का सेवन करता है तो ऐसी स्थिति में भी इसके दुष्प्रभाव शरीर पर हो सकते हैं। क्योंकि यह शराब के साथ मिश्रित होकर बॉडी पर विपरीत प्रभाव डाल सकता है।
- ऐसे व्यक्ति जो किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित है और वह बिना अपने डॉक्टर की सलाह के इन दवाइयों का सेवन करते हैं तो ऐसी स्थिति में भी इसके दुष्प्रभाव शरीर पर हो सकते हैं।
- पैरों में जलन की आयुर्वेदिक दवा में उपस्थित किसी घटक सामग्री से एलर्जी होने के बावजूद भी यदि इसका उपयोग किया जाता है तो ऐसी स्थिति में भी इसके दुष्प्रभाव शरीर पर हो सकते हैं।
- एक्सपायर हो चुके दवाओं का सेवन किए जाने पर भी इसके दुष्प्रभाव होने के खतरे बढ़ सकते हैं।
पैरों में जलन के लिए आयुर्वेदिक दवाओं के इस्तेमाल के दौरान यदि किसी भी प्रकार के दुष्प्रभाव का अनुभव करते है तो इसका सेवन बंद कर दें और तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
पैरों में जलन के लिए बताई गई आयुर्वेदिक दवा के दुष्प्रभाव से जुड़े यदि आपके कुछ व्यक्तिगत अनुभव या जानकारी है तो कमेंट के माध्यम से हमारे साथ जरूर शेयर करें यह हमारे और हमारे पाठको के लिए एक महत्वपूर्ण जानकारी होगी।
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पैरों में जलन की आयुर्वेदिक दवा से सम्बन्धित सावधानी।
पैरों में जलन के लिए आयुर्वेदिक दवाओं का सेवन करने से पहले कुछ सावधानियां है जिन्हे ध्यान मैं रखना बेहद जरूरी है इन महत्वपूर्ण बातों को यदि आप ध्यान में रखते हैं तो अनजाने मैं होने वाली कई प्रकार की हानियों से बच सकते हैं।
- गर्भवती महिलाओं को इन आयुर्वेदिक दवाइयों का सेवन चिकित्सक की सलाह के बाद ही करना चाहिए।
- ऐसे लोग जो वर्तमान समय मैं किसी गंभीर रोग से पीड़ित है और उपचार ले रहे है उन्हे इसका सेवन चिकित्सक की सलाह के बाद ही करना चाहिए।
- हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज के मरीजों को इसका सेवन अपने चिकित्सक की सलाह के बाद ही करना चाहिए।
- ऐसी महिलाएं जो की हाल ही मे मां बनी है और अपने शिशु को स्तनपान कराती है उन्हें इसका सेवन डॉक्टर की सलाह के बाद ही करना चाहिए।
- पैरों में जलन के लिए उपयोग किजाने वाली आयुर्वेदिक दवाओ मैं मोजूद किसी घटक सामग्री से एलर्जी अथवा किसी प्रकार की समस्या होने पर इसका उपयोग ना करे।
- अन्य किसी भी दवाई अथवा सप्लीमेंट्स के साथ इसका उपयोग करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
- पैरों में जलन की आयुर्वेदिक दवा का सेवन पैक पर दिए निर्देश अथवा चिकित्सक द्वारा बताए गए तरीकों से ही सेवन करें।
- पैरों में जलन के लिए आयुर्वेदिक दवाईयों का उपयोग करने से पहले पैक पर दिए गए सभी महत्वपूर्ण निर्देशों को ध्यानपूर्वक पढ़ें।
- इन आयुर्वेदिक दवाइयों का सेवन करने से पहले अपनी वर्तमान स्वास्थ्य स्थिति पर आकलन करें।
- सर्जरी या ऑपरेशन जैसी स्थितियों मैं इसका सेवन करने के पूर्व डॉक्टर की सलाह आवश्यक है।
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