सूखी खांसी की 5 पावरफुल आयुर्वैदिक दवा। सूखी खांसी की आयुर्वेदिक दवा
सूखी खांसी की आयुर्वेदिक दवा: सूखी खांसी एक आम समस्या है जो किसी भी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकती है। यह एलर्जी, धूल, धुएं, बदलते मौसम या ठंड के कारण हो सकती है।
आयुर्वेद में, सूखी खांसी को “वात कफ” कहा जाता है। सुखी खांसी वात कफ एक असंतुलन है जो वात (हवा) और कफ (श्लेष्मा) दोषों के कारण होता है।
सुखी खांसी के लिए विभिन्न प्रकार के दवाई हर चिकित्सा पद्धति मैं उपलब्ध है जिन्हे चिकित्सक की सलाह से लिया जा सकता है तथा इस लेख मैं सुखी खांसी के लिए उपयोग की जाने वाली कारगर और आसानी के साथ मिलने आयुर्वेदिक दवाइयों के बारे मैं जानेंगे।
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सूखी खांसी की आयुर्वेदिक दवा। Ayurvedic medicine for Dry Cough
1. तुलसी
तुलसी, एक धार्मिक पौधा है जिसे कृष्णा तुलसी के नाम से भी जाना जाता है, एक प्राकृतिक जड़ी-बूटी है जो सदियों से भारत में इस्तेमाल की जा रही है। यह औषधीय गुणों से भरपूर है और सूखी खांसी सहित कई अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के लिए फायदेमंद है। तुलसी बहुत आसानी से आपके घर या आस पास मिल जाता है
सूखी खांसी से राहत दिलाने में तुलसी कैसे मदद करती है:
- एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण: तुलसी में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो गले और श्वसन मार्ग की सूजन को कम करते हैं, जिससे खांसी से राहत मिलती है।
- एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-वायरल गुण: तुलसी में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-वायरल गुण भी होते हैं जो खांसी पैदा करने वाले बैक्टीरिया और वायरस से लड़ने में मदद करते हैं।
- एक्सपेक्टोरेंट गुण: तुलसी एक प्राकृतिक एक्सपेक्टोरेंट है जो श्लेष्मा को पतला करने और उसे बाहर निकालने में मदद करता है, जिससे खांसी से राहत मिलती है।
तुलसी का उपयोग कैसे करें
तुलसी की चाय: तुलसी की पत्तियों को पानी में उबालकर चाय बना लें और दिन में दो बार पीएं।
तुलसी का रस: तुलसी की पत्तियों का रस निकालकर दिन में दो बार एक चम्मच पीएं।
तुलसी का शहद: तुलसी की पत्तियों को शहद में मिलाकर दिन में दो बार चाटें।
तुलसी का काढ़ा: तुलसी की पत्तियों, अदरक, और काली मिर्च को पानी में उबालकर काढ़ा बना लें और दिन में दो बार पीएं।
तुलसी से बने उत्पाद: यदि आप ऊपर बताए गए तरीकों से तुलसी का उपयोग नहीं कर पा रहे है तो तुलसी से बने उत्पाद जैसी की तुलसी टैबलेट, तुलसी जूस या तुलसी अर्क का उपयोग भी कर सकते है।
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2. मुलेठी
मुलेठी एक जड़ी-बूटी है जो सदियों से आयुर्वेद में इस्तेमाल की जा रही है। यह औषधीय गुणों से भरपूर है और सूखी खांसी सहित कई स्वास्थ्य समस्याओं के लिए फायदेमंद है।
सूखी खांसी से राहत दिलाने में मुलेठी कैसे मदद करती है
- मुलेठी में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो गले और श्वसन मार्ग की सूजन को कम करते हैं, जिससे खांसी से राहत मिलती है
- मुलेठी एक प्राकृतिक एक्सपेक्टोरेंट है जो श्लेष्मा को पतला करने और उसे बाहर निकालने में मदद करता है, जिससे खांसी से राहत मिलती है।
- मुलेठी में एंटी-ट्यूसिव गुण भी होते हैं जो खांसी की तीव्रता और आवृत्ति को कम करते हैं।
मुलेठी का उपयोग कैसे करें
- मुलेठी की चाय: मुलेठी की जड़ को पानी में उबालकर चाय बना लें और दिन में दो बार पीएं।
- मुलेठी का पाउडर: मुलेठी की जड़ को पीसकर पाउडर बना लें और दिन में दो बार एक चम्मच शहद के साथ मिलाकर खाएं।
- मुलेठी की गोली: मुलेठी की गोली भी मेडिकल स्टोर पर आसानी से मिल जाती है जिसे चूसने से भी खांसी से राहत मिलती है।
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3. सूखी खांसी में अदरक के फायदे
अदरक एक प्राकृतिक जड़ी-बूटी है जिसमें कई औषधीय गुण होते हैं। यह सूखी खांसी से राहत दिलाने में मददगार है।
अदरक सूखी खांसी से राहत कैसे देता है
- एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण: अदरक में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो गले और श्वसन मार्ग की सूजन को कम करते हैं, जिससे खांसी से राहत मिलती है।
- एक्सपेक्टोरेंट गुण: अदरक एक प्राकृतिक एक्सपेक्टोरेंट है जो श्लेष्मा को पतला करने और उसे बाहर निकालने में मदद करता है, जिससे खांसी से राहत मिलती है।
- एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-वायरल गुण: अदरक में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-वायरल गुण भी होते हैं जो खांसी पैदा करने वाले बैक्टीरिया और वायरस से लड़ने में मदद करते हैं।
अदरक का उपयोग कैसे करें
अदरक की चाय: अदरक की पत्तियों या टुकड़ों को पानी में उबालकर चाय बना लें और दिन में दो बार पीएं।
अदरक का रस: अदरक का रस निकालकर दिन में दो बार एक चम्मच पीएं।
अदरक का शहद: अदरक के रस को शहद में मिलाकर दिन में दो बार चाटें।
अदरक का पावडर: अदरक के पाउडर को गरम पानी या चाय मैं मिलाकर सेवन करे।
अदरक का काढ़ा: अदरक, तुलसी, और काली मिर्च को पानी में उबालकर काढ़ा बना लें और दिन में दो बार पीएं।
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4. त्रिकटु चूर्ण
त्रिकटु चूर्ण तीन जड़ी-बूटियों का मिश्रण है: सोंठ, काली मिर्च, और पीपल। यह आयुर्वेद में एक लोकप्रिय औषधि है जिसका उपयोग कई स्वास्थ्य समस्याओं के लिए किया जाता है, जिसमें सूखी खांसी भी शामिल है।
सूखी खांसी से राहत दिलाने में त्रिकटु चूर्ण कैसे मदद करता है
- एक्सपेक्टोरेंट गुण: त्रिकटु चूर्ण एक प्राकृतिक एक्सपेक्टोरेंट है जो श्लेष्मा को पतला करने और उसे बाहर निकालने में मदद करता है, जिससे खांसी से राहत मिलती है।
- एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण: त्रिकटु चूर्ण में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो गले और श्वसन मार्ग की सूजन को कम करते हैं, जिससे खांसी से राहत मिलती है।
- एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-वायरल गुण: त्रिकटु चूर्ण में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-वायरल गुण भी होते हैं जो खांसी पैदा करने वाले बैक्टीरिया और वायरस से लड़ने में मदद करते हैं।
त्रिकटु चूर्ण का उपयोग कैसे करें
- त्रिकटु चूर्ण की चाय: त्रिकटु चूर्ण को पानी में उबालकर चाय बना लें और दिन में दो बार पीएं।
- त्रिकटु चूर्ण का शहद: त्रिकटु चूर्ण को शहद में मिलाकर दिन में दो बार चाटें।
- त्रिकटु चूर्ण का दूध: त्रिकटु चूर्ण को गर्म दूध में मिलाकर दिन में एक बार पीएं।
5. सीतोपलादि चूर्ण
सितोपलादी चूर्ण एक आयुर्वेदिक दवा है जो सूखी खांसी, गले में खराश, और सर्दी-जुकाम के लिए बहुत फायदेमंद है। यह कई जड़ी-बूटियों का मिश्रण है, जिनमें शामिल हैं:
- सौंफ: यह एक प्राकृतिक एक्सपेक्टोरेंट है जो श्लेष्मा को पतला करने और उसे बाहर निकालने में मदद करता है।
- मुलेठी: यह गले की सूजन और जलन को कम करने में मदद करता है।
- अश्वगंधा: यह इम्यूनिटी सिस्टम को मजबूत करता है और शरीर को संक्रमण से लड़ने में मदद करता है।
- तुलसी: यह एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-वायरल गुणों से भरपूर है जो खांसी पैदा करने वाले बैक्टीरिया और वायरस से लड़ने में मदद करते हैं।
सूखी खांसी में सितोपलादी चूर्ण के कुछ फायदे
- खांसी से राहत दिलाता है: सितोपलादी चूर्ण श्लेष्मा को पतला करने और उसे बाहर निकालने में मदद करता है, जिससे खांसी से राहत मिलती है।
- गले में खराश कम करता है: सितोपलादी चूर्ण गले की सूजन और जलन को कम करने में मदद करता है।
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