घर मैं मोजूद 6 इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए आयुर्वेदिक दवा। Ayurvedic Medicine for Immunity Hindi
इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए आयुर्वेदिक दवा:
एक मजबूत इम्यूनिटी वाला व्यक्ति सामान्य रोग( सर्दी , जुखाम,बुखार, खासी इत्यादि) और मौसम के परिवर्तन से होने वाले प्रभावों से ज्यादा सुरक्षित होता है।
आयुर्वेद, प्राचीन भारतीय चिकित्सा प्रणाली, प्राकृतिक रूप से प्रतिरक्षा बढ़ाने के लिए समग्र दृष्टिकोण प्रदान करती है। तथा इस लेख मैं इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए आयुर्वेदिक दवा के बारे मैं जानेंगे। तथा इम्यूनिटी बढ़ाने के अन्य उपायों और दिनचर्या के बारे मैं भी हम इस लेख मैं जानेंगे।
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इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए आयुर्वेदिक दवा। Ayurvedic medicine for immunity in Hindi
1. अश्वगंधा : अश्वगंधा एक बहुउपयोगी आयुर्वैदिक औषधि है जो अपने एडाप्टोजेनिक गुणों के लिए प्रसिद्ध है, जो शरीर को तनाव के अनुकूल बनाने और प्रतिरक्षा कार्य में सुधार करने में मदद करता है। यह जीवन शक्ति को बढ़ाता है, थकान और कमजोरी जैसी स्थितियों से लड़ने मैं मदद करता है , सूजन को कम करता है और समग्र प्रतिरक्षा को बढ़ाता है।
इम्यूनिटी बढ़ने के लिए आप अश्वगंधा से बने उत्पाद जैसे की कैप्सूल, टैबलेट, चूर्ण और सिरप इत्यादि का प्रयोग कर सकते है।
2.तुलसी : तुलसी को एक पवित्र पौधा माना जाता है जिसका बहुत भारतीय लोगो मैं बहुत बड़ा धार्मिक महत्व है आयुर्वेद में तुलसी को उसके इम्यून-मॉड्यूलेटिंग और रोगाणुरोधी गुणों के लिए सम्मानित किया जाता है। यह श्वसन प्रणाली को मजबूत करता है, सर्दी, जुखाम और खांसी जैसी समस्यायों से निपटने मैं मदद करता है , विषहरण को बढ़ावा देता है और संक्रमण से बचाता है।
इम्यूनिटी को बढ़ाने के लिए तुलसी से बने विभिन्न प्रकार के प्रॉडक्ट बाजार मैं उपलब्ध है जिनका उपयोग आप कर सकते है।
3. अमलकी (आंवला) : अमलकी यानी आंवला जिसे आयुर्वेद मैं अमृत का दर्जा दिया जाता है यह विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट का एक शक्तिशाली स्रोत है, यह प्रतिरक्षा प्रणाली का समर्थन करता है और जीवन शक्ति को बढ़ाता है। यह शरीर को फिर से जीवंत करता है, पाचन में सुधार करता है और समग्र प्रतिरक्षा को बढ़ाता है।
4. गुडुची (गिलोय) : गुडूची जिसे गिलोय के नाम से लोग ज्यादा जानते है यह एक शक्तिशाली इम्युनोमोड्यूलेटर है जो संक्रमण के प्रति शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। यह श्वेत रक्त कोशिका उत्पादन को बढ़ाता है, सूजन को कम करता है और विषहरण का समर्थन करता है।
यह रोग प्रतिरोधक प्रणाली को मजबूत बनाता है जिससे की शरीर सामान्य होने वाले रोगों से जल्दी प्रभावित नहीं होता है। गिलोय से बने विभिन्न प्रकार के उत्पाद बाजार मैं उपलब्ध हैं जिनका उपयोग करके इम्यूनिटी को बढ़ाया जा सकता है।
5. हल्दी : हल्दी का उपयोग हर भारतीय घर मैं दैनिक रूप से होता है हल्दी अपने सूजन-रोधी, एंटीऑक्सीडेंट और प्रतिरक्षा-बढ़ाने वाले गुणों के लिए बेशकीमती है। यह प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है, श्वसन स्वास्थ्य का समर्थन करता है और समग्र कल्याण को बढ़ावा देता है।
हल्दी का उपयोग आप विभिन्न प्रकार से कर सकते है जैसे की दूध के साथ , पानी के साथ तथा आज कर हल्दी से बने टैबलेट भी बाजार मैं उपलब्ध है।
6. सहजन के पत्ते: सहजन के पत्ते जिसे मुनगा के पत्ते या मोरींगा के पत्ते भी कहा जाता है यह सहजन के पत्तो का उपयोग विभिन्न प्रकार के रोगों के उपचार मैं किया जाता है तथा यह इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए भी बहुत फायदेमंद होता है सहजन के पत्तो मैं फाइटोकैमिकल मोजूद होता है जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने मैं मदद करता है।
इम्यूनिटी बढ़ाने के सहजन के पत्तो का पाउडर या सहजन के पत्तो को स्वादिष्ठ सब्जी बनाकर भी कर सकते है।
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इम्यूनिटी बढाने के अन्य उपाय। रोग प्रारोधक क्षमता को बढाने के अन्य उपाय
1. च्यवनप्राश
च्यवनप्राश एक पारंपरिक आयुर्वेदिक टॉनिक है जो अपनी प्रतिरक्षा-बढ़ाने वाले गुणों के लिए जाना जाता है। इसमें जड़ी-बूटियों, मसालों और शहद का मिश्रण होता है जो जीवन शक्ति, शक्ति और दीर्घायु को बढ़ावा देता है।
2. हर्बल चाय
तुलसी, अदरक और मुलेठी जैसी प्रतिरक्षा-बढ़ाने वाली जड़ी-बूटियों से युक्त हर्बल चाय पीना प्रतिरक्षा का समर्थन करने का एक उत्कृष्ट तरीका हो सकता है। ये चाय गर्मी, जलयोजन और चिकित्सीय लाभ प्रदान करती हैं।
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इम्यूनिटी को बढ़ाने के लिए जरूरी दिनचर्या
1. संतुलित आहार: आयुर्वेद चिकित्सा समग्र स्वास्थ्य और प्रतिरक्षा प्रणाली को बढाने के लिए संतुलित आहार के महत्व पर जोर देता है। पोषक तत्वों, एंटीऑक्सीडेंट और प्रतिरक्षा-बढ़ाने वाले गुणों से भरपूर खाद्य पदार्थों की सिफारिश की जाती है। विभिन्न प्रकार के फल, सब्जियाँ, साबुत अनाज और फलियाँ शामिल करना आवश्यक है।
2. तनाव प्रबंधन: तनाव प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करता है और संक्रमण जैसी स्थिति की संभावना को बढ़ाता है। आयुर्वेद मानसिक और भावनात्मक कल्याण को बनाए रखने के लिए योग, ध्यान और प्राणायाम (साँस लेने के व्यायाम) जैसे तनाव-मुक्त अभ्यासों का सुझाव देता है।
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3. पर्याप्त नींद: गुणवत्तापूर्ण नींद प्रतिरक्षा कार्य और समग्र स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है। आयुर्वेदिक चिकित्सा मैं एक नियमित नींद की योजना स्थापित करने, आरामदायक सोने की दिनचर्या बनाने और आरामदायक नींद का माहौल सुनिश्चित करने की सलाह देते हैं।
4. शारीरिक गतिविधि: नियमित व्यायाम से परिसंचरण में सुधार होता है, लसीका ( कोशिकाओं के बीच पाया जाने वाला पदार्थ) प्रवाह बढ़ता है और शरीर की सुरक्षा मजबूत होती है। आयुर्वेद व्यक्तिगत आवश्यकताओं और संविधान के अनुरूप दैनिक शारीरिक गतिविधि की वकालत करता है।
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